रांची: सर्ड दक्षिणी परिसर में 09 एवं 10 मार्च 2013 को प्रधानमंत्री ग्राम विकास फेलो समूह की समीक्षा बैठक संपन्न हुई। पहले दिन भारत सरकार के इस अनूठे कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के 17 आइएपी जिलों में कार्यरत पीएमआरडीएफ के कार्यों पर रिपोर्ट की प्रस्तुति एवं समीक्षा हुई। दूसरे दिन इंदिरा आवास योजना में बदलाव हेतु भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित नयी गाइडलाइन पर समूह चर्चा के आधार पर सुझाव संबंधी रिपोर्ट तैयार की गयी।
09 मार्च 2013 को प्रधानमंत्री ग्राम विकास फेलो समूह की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए सर्ड के निदेशक श्री आर पी सिंह ने झारखंड में ग्रामीण विकास की जटिल चुनौतियों के संदर्भ में युवा फेलोज से केंद्र एवं राज्य सरकार की अनंत अपेक्षाओं की चर्चा करते हुए कहा कि विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में नवाचारी तरीके अपनाने में युवा शक्ति की खास भूमिका सुनिश्चित करने के लिए यह योजना चलायी जा रही है। श्री सिंह ने सुझाव दिया कि झारखंड में फेलोज के बेहतर कार्यों एवं प्रयोगों के संबंध में उन अन्य आइएपी राज्यों के साथ भी सूचनाओं का आदान प्रदान करना चाहिए जहां यह योजना चल रही है। इससे परस्पर सीखने का अवसर मिलेगा। उन्होंने फेलोज के क्रियाकलापों एवं उनसे अपेक्षाओं के संबंध में जिला प्रशासन को स्पष्ट मार्गदर्शिका भेजने की भी आवश्यकता बतायी ताकि फेलोज की क्षमता का सही उपयोग हो सके तथा उन्हें मूल कार्यक्रम में भटकाव से बचाया जा सके। सर्ड निदेशक ने इंदिरा आवास के निर्माण में झारखंड की विशिष्टताओं के अनुरूप बेहतर माडल सुझाने में भी फेलोज की संभावित भूमिका पर चर्चा की।
फेलोज को संबोधित करते हुए यूनिसेफ के राज्य प्रमुख श्री जाब जकारिया ने कहा कि फेलोज को अपनी खास भूमिका की पहचान करते हुए कहा कि जमीनी स्तर पर काम करने वाले फेलोज के अनुभव हमारे लिए काफी उपयोगी हैं। इसलिए अगर समीक्षा बैठक के दौरान किसी खास थिमेटिक विषय को फोकस करके उसके क्रियान्वयन में आ रही जटिलताओं तथा उस पर बेहतर विकल्प के ठोस सुझाव लाये जायें तो ग्रामीण विकास में काफी मदद मिलेगी। श्री जकारिया ने ऐसी विषय केंद्रित बैठक में संबंधित विभाग के प्रमुख अधिकारियों को भी आमंत्रित करने का सुझाव दिया ताकि इनमें आये विचारों के सभी पहलुओं पर गंभीर चर्चा एवं उन पर क्रियान्वयन संभव हो सके। श्री जकारिया ने कहा कि फेलोज को समस्याओं के बजाय समाधान की चर्चा करनी चाहिए। जिले के वरीय अधिकारी को समस्याएं बताने वाले बहुत लोग मिलते हैं। लेकिन उसका समाधान क्या होना चाहिए, ऐसे सुझाव देने से ही फेलोज अपनी विशिष्ट भूमिका निभा सकेंगे। श्री जकारिया ने महज इनफोरमेशन देने के बजाय एक्शनेबल इनफोरमेशन देने का सुझाव दिया। उन्होंने इसके लिए डूएबल थिंग शब्द का भी इस्तेमाल किया यानी ऐसे सुझाव जिनसे यह पता चलता हो कि आखिर करना क्या है और किस तरह करना है। श्री जकारिया ने यह भी कहा कि आज फेलो साथियों को ग्रामीण क्षेत्रों में काम का जो अवसर मिल रहा है, वह आने वाले जीवन में उनकी सबसे बड़ी पूंजी हो जायेगी। जीवन के जिस भी क्षेत्र में वे जायेंगे, वहां उन्हें ये अनुभव का आयेंगे तथा आज से बीस साल बाद वे जाने या अनजाने में आज के अनुभवों का उल्लेख करेंगे या उनसे अप्रत्यक्षतः निर्देशित होंगे। इसलिए आज फेलोज को अधिक से अधिक जमीनी अनुभव हासिल करने का प्रयास करना चाहिए।
बैठक का संचालन पीएमआरडीएफ के राज्य फेसीलिटेटर श्री सुबीर कुमार दास ने किया। झारखंड पंचायत महिला रिसोर्स सेंटर के राज्य समन्वयक डा विष्णु राजगढि़या, टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंसेस के फेकेल्टी श्री ई. टोप्पो तथ सर्ड के फेकेल्टी डाॅ एसपी सिंह ने भी फेलोज के साथ चर्चा की।
इंदिरा आवास योजना पर नयी गाइडलाइन संबंधी चर्चा के सत्र का संचालन करते हुए सर्ड की फेकेल्टी इंजीनियर श्रीमती शुभा कुमार ने इस योजना के क्रियान्वयन की विभिन्न जटिलताओं पर चर्चा की। इसके बाद फेजोज ने इस योजना के विभिन्न पहलुओं पर समूह चर्चा के माध्यम से आये सुझावों के आधार पर समेकित रिपोर्ट प्रस्तुत की।
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