Sunday 2 September 2012

पंचायती राज व्यवस्था की नींव में खाद-पानी

ग्राम सभा में महिलाओं के साथ मुखिया किरण पहान 
डा. विष्णु राजगढि़या
(26 अगस्त 2012 को टाटी पूर्वी पंचायत की ग्राम सभा में झारखंड पंचायत महिला रिसोर्स सेंटर के प्रतिनिधियों ने शामिल होकर ग्राम सभा के कार्यों एवं गतिविधियों का अवलोकन करते हुए पाया कि किस तरह पंचायती राज में महिला प्रतिनिधियों का सशक्तिकरण हो रहा है। इस दौरान ग्राम सभा में मौजूद लोगों को झारखंड पंचायत महिला रिसोर्स सेंटर के कायो्रं एवं उद्देश्यों की भी जानकारी दी गयी तथा निर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधियों ने ऐसे सेंटर की स्थापना को एक उपयोगी कदम बताया। प्रस्तुत है एक रिपोर्ट)

टाटी पूर्वी: ग्राम सभा की बैठक : पंचायती राज व्यवस्था की बुनियादी इकाई है ग्रामसभा। यानी गांव की सभा। इसमें गांव के सभी लोग अपने गांव की समस्याओं का हल ढूंढ़ते हैं और विकास के रास्ते तलाशते हैं। इसमें उस गांव के हर मतदाता को अपनी बात कहने और विचार-विमर्श का अधिकार होता है। ग्राम सभा के माध्यम से ग्राम पंचायत तथा पंचायत राज की अन्य संस्थाओं के कामकाज को निर्देशित करना और उन पर निगरानी करना संभव हो पाता है। हरेक राजस्व गांव की मतदाता सूची में जिनके नाम हैं, वे सारे लोग उस गांव की ग्राम सभा के सदस्य होते हैं।
नियमानुसार हर साल कम से कम चार बार ग्राम सभा की बैठक करना अनिवार्य है। यानी हर तीन महीने पर। लेकिन रांची जिला में हर महीने 26 तारीख को ग्राम सभा की बैठक करना निर्धारित है। ऐसा रांची के उपायुक्त के आदेशानुसार हो रहा है। ग्राम सभा का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि गांव के सामाजिक एवं आर्थिक विकास की योजना का अनुमोदन ग्राम सभा से कराना अनिवार्य है। इसके पीछे अवधारणा यह है कि प्रत्येक गांव में विकास के लिए कौन से काम कराये जायें, इसका फैसला एयरकंडीशन कमरों में बैठे अधिकारी न करें बल्कि जिन ग्रामीणों का सीधा हित इससे जुड़ा है, खुद उन्हें ऐसा करने का अवसर मिले।
राज्य में पंचायती राज व्यवस्था नयी होने के कारण हर जगह ग्राम सभा का नियमानुसार आयोजन करना एक बड़ी चुनौती है। जिन स्थानों पर पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधि खास दिलचस्पी लेते हैं, अथवा जहां कोई स्वयंसेवी संस्था प्रयास करती है, वहां ग्राम सभा का आयोजन होने लगा है।
ऐसी ही एक ग्राम पंचायत है टाटी पूर्वी। रांची जिले के टाटी सिल्वे प्रखंड की इस पंचायत की मुखिया किरण पहान के प्रयास से हर महीने ग्राम सभा का सफल आयोजन हो रहा है। श्री अशोक भगत के नेतृत्व में विकास भारती नामक स्वयंसेवी संस्था की प्रेरणा से यह संभव हो पाया है। विकास भारती की ओर से पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत बनाने में जुटे निखिलेख जी के अनुसार टाटी सिल्वे जैसी पंचायतों में ग्राम सभा के सफल आयोजन को हम माॅडल के रूप में अन्य पंचायतों को भी दिखाना चाहते हें ताकि हर जगह ग्राम सभा का बखूबी आयोजन हो सके।
हर माह की तरह, 26 अगस्त को भी टाटी पूर्वी की ग्राम सभा में गांव की महिलाओं और पुरूषों ने काफी उत्साहपूर्वक भाग लिया। दो-तीन दिन पहले ही एक नोटिस छपवा कर गांव के प्रमुख स्थानों पर चिपका दिया गया था ताकि सबको मालूम हो। 26 अगस्त की सुबह लगभग दस बजे स्थानीय तालाब के समीप बने पंचायत कार्यालय में गांव के लोग जुट गये। ग्राम पंचायत का नया भवन अभी निर्माणाधीन होने के कारण मात्र एक कमरे के पुराने कार्यालय के बाहर ही ग्रामसभा करना मजबूरी थी। गांव के पुरूषों के लिए कुछ कुरसियांे का इंतजाम आसपास के घरों से किया गया था जबकि महिलाओं के लिए दरी बिछायी गयी थी।
ग्राम प्रधान अर्जुन पहान की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक में पंचायत सेवक सनिका मुंडा तथा जनसेवक अनिल शर्मा भी मौजूद थे। वे ग्रामीणों को विभिन्न योजनाओं से संबंधित नियमों की जानमारी दे रहे थे। ग्रामीणों ने एक-एक करके हर प्रकार की समस्या पर विस्तार से चर्चा की। एक ने बताया कि मनरेगा के तहत कुंआ निर्माण का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है। पंचायत सेवक ने पत्थर मंगाने में आ रही कठिनाई की जानकारी देते हुए इसे जल्द कराने की बात कही। इस दौरान गांव के तालाब, नालियों, सड़कों, चापाकल की मरम्मत जैसे कई मामलों पर चर्चा हुई।
इस दौरान मुखिया किरण पाहन तथा पंचायत की अन्य महिला प्रतिनिधियों के नेतृत्व में गांव की महिलाओं ने भी ग्रामसभा की कार्यवाही में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। हालांकि कई बार पंचायत सेवक और जनसेवक तथा कुछ अन्य पुरूष ग्रामीण बैठक में ज्यादा हावी दिख रहे थे। इसके बावजूद गांव की महिलाओं ने बीच-बीच में अपनी पहल करके दावे के साथ अपनी बात रखते हुए यह एहसास दिलाने की लगातार कोशिश की कि उन्हें दरकिनार करना अब संभव नहीं है।
एक महिला ने गांव की एक सड़क में पुल के समीप बड़े-से गड्ढे़ के कारण ग्रामीणों के सामने आ रही परेशानी का हल निकालने पर जोर दिया। एक अन्य महिला ने सड़क पर जलजमाव के कारण परेशानी की बात कही। इस दौरान विधवा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन, विकलंागता पेंशन जैसे मामलों पर भी बात हुई। महिलाओं ने गांव में बन रहे इंदिरा आवासों की स्थिति के बारे में भी बात निकाली और उनके आबंटन में ग्राम सभा की भूमिका तथा प्रतीक्षा-सूची जारी करने का काम नियमानुसार करने पर जोर डाला। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को मजबूत करके उनके माध्यम से स्वरोजगार की संभावनाओं पर भी विस्तार से चर्चा हुई। कुछ महिलाओं ने इस बात पर अफसोस जताया कि स्वयं सहायता समूहों के लिए बीपीएल श्रेणी की शर्त क्यों रख दी गयी है जबकि बीपीएल की सूची में सारे गरीबों के नाम अब तक नहीं जोड़े गये हैं। साथ ही ऐसी महिलाओं की बड़ी संख्या है जिनके नाम बीपीएल सूची में भले ही न हों लेकिन जो निम्न आर्थिक श्रेणी में हें और जिन्हें अवसर मिले तो स्वरोजगार के माध्यम से अपने परिवार को मजबूत कर सकती हैं।
ग्रामीणों के लिए ग्राम सभा में आकर समस्याओं पर चर्चा करना और विकास कार्यों के लिए प्रस्ताव तैयार करना काफी उत्साहजनक काम है। लेकिन इनके अमल में अब भी समस्या होने के कारण कई बार उन्हें मायूसी भी होती है। मुखिया किरण पहान के अनुसार हम प्रस्ताव पारित तो जरूर करते हैं, लेकिन उन्हें जमीन पर उतारना संभव नहीं हो पा रहा है। अभी भी प्रखंड और जिले तक पहुंचकर हमारे प्रस्ताव बदल जाते हैं। इसके कारण हम जो कुछ भी पंचायती राज के बारे में पढ़ते-सुनते हैं, सब उल्टा दिखने लगता है।
किरण पहान के अनुसार मनरेगा की योजना को लेकर भी नये सिरे से सोचने की जरूरत है। शहरी एवं औद्योगिक इलाके से सटा गांव होने के कारण यहां के लोगों को मनरेगा में मात्र 120 रूपये पर दिन भर हाड़-तोड़ काम करने में दिलचस्पी नहीं। लिहाजा, मनरेगा योजना के तहत उनके इलाके में काम का क्या तरीका हो, इस पर नये तरीके से सोचने की जरूरत महसूस करती हैं किरण पहान।
इस ग्राम सभा में शामिल कई लोगों की बातों से यह स्पष्ट था कि उन्हें मालूम है कि उनके प्रस्तावों का क्या हश्र होने वाला है। फिर भी शायद उन्हें यह भी मालूम है कि अभी झारखंड में पंचायत राज व्यवस्था नये सिरे से अपनी नींव जमाने की कोशिश कर रही है और ऐसी ग्राम सभाएं इसमें खाद-पानी का काम करेंगी। विकास भारती जैसी संस्थाओं का मकसद भी यही है कि किसी भी तरह एक शुरूआत हो और दिखे।

No comments:

Post a Comment