Saturday, 2 February 2013

पेयजल के लिए 900 करोड़ रुपये : सुधीर प्रसाद

ग्राम पंचायत को और अधिक अधिकार देने की नीयत से पेयजल के अधिकतर कामों में उनकी मुख्य भूमिका सुनिश्‍चित की गयी है. विभाग ने पंचायत को सशक्त बनाने के लिए पेयजल से संबंधित छोटे कामों का टेंडर व भुगतान करने का अधिकार भी ग्राम स्वच्छता समिति को सौंपने का फैसला किया है. पंचायत की जागरूकता से ही पेयजल की समस्या का समाधान हो सकता है. इन्हीं मसलों पर नीरज कुमार सिंह ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद से बातचीत की :
झारखंड में पानी की उपलब्धता के बावजूद यहां के गांव पेयजल संकट से जूझ रहे हैं. यह स्थिति कैसे बदलेगी?
झारखंड पेयजल संकट से जूझ रहा है, ऐसी बात नहीं है. प्रदेश की जनता नलकूप पर निर्भर है. लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है क्योंकि गरमी के दिनों में प्रदेश कुछ हिस्सों में नलकूप सूख जाते हैं. इस कारण कुछ समस्या जरूर होती है. हालांकि प्रदेश में नलकूपों का औसत राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. प्रदेश में चार लाख नलकूप हैं.

प्रदेश के हर गांव में पाइप द्वारा पानी पहुंचाने की योजना थी, वह कितनी सफल हो सकी है और कब तक सूबे के सभी गांवों में पाइप लाइन द्वारा पानी पहुंच पाएगा?
फिलहाल पाइप द्वारा जलापूर्ति की योजना का अभाव है. प्रदेश में सात फीसदी ही नल हैं जबकि गुजरात जैसे विकसित राज्यों में 70 फीसदी तक नल है. मंत्रालय द्वारा पाइप जलापूर्ति पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इसके लिए अगले दो सालों में 110 योजनाओं को तैयार किया गया है. 900 करोड़ की लागत वाली इन योजनाओं का कार्य दो साल में पूरा हो जाएगा. इन योजनाओं में दुमका के परसिमला व आसनसोल, रांची के ओरमांझी, गिरिडीह के बेंगाबाद व खरगडीहा आदि मुख्य रूप से शामिल हैं. इनमें से 20 योजनाओं पर मार्च से काम शुरू हो जाएगा. 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत प्रदेश के 25 फीसदी घरों तक नल से जल पहुंचाने की योजना है. जिन गांव में पाइप द्वारा पानी जाएगा, वहां नलकूप नहीं लगाया जाएगा.

जिन गांवों के पानी में फ्लोराइड, आर्सेनिक आदि तत्व हैं, वहां विभाग इसके निदान के लिए क्या कर रहा है?
गढ.वा व पलामू के जल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. जबकि आर्सेनिक प्रभवित जिला साहिबगंज और पाकुड़ है. साहिबगंज के बरहेट में जलापूर्ति योजना निर्माणाधीन है. इस योजना के पूरा होने से 34 पंचायत के 58 गांव और 1 लाख 63 हजार लोग लाभान्वित होंगे. 138 करोड़ की लागत से बनने वाली इस योजना का कार्य 2014 तक पूरा हो जाएगा. इस योजना के अंतर्गत 500 किलोमीटर पाइपलाइन बिछायी जाएगी. ग्रामीण क्षेत्र में इतनी बड़ी परियोजना नहीं है. पाकुड़, पलामू और गढ.वा के लिए कई योजनाएं चल रही हैं. साहिबगंज, गढ.वा व पलामू के लिए 163 सौर ऊर्जा से संचालित योजनाएं चल रही हैं. पीपीपी मॉडल पर संचालित यह योजना ग्राम जल स्वच्छता समिति के सहयोग से चल रही है. इस योजना के अंतर्गत आने वाला सारा खर्च सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है. इस योजना की सफलता मुखियों पर निर्भर है. मुखिया को चाहिए कि ग्रामीणों से वे 30 से 50 पैसा प्रति लीटर के हिसाब से पानी का टैक्स वसूलें. यह पैसा ग्राम पंचायत के पास ही रहेगा. इन पैसों को मुखिया अपनी पंचायत के जल एवं स्वच्छता से संबंधित कार्यों के लिए खर्च कर सकते हैं. पेयजल से संबंधित किसी प्रकार की शिकायत के लिए लोग 18003456502 व 18003456516 पर शिकायत कर सकते हैं. इतना ही नहीं लोग स्थानीय स्तर पर कार्यपालक अभियंता से भी शिकायत करें. आप हमें दफ्तर के समय यानी सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे के बीच शिकायत कर सकते हैं. शिकायत का तुरंत समाधान किया जाएगा.

जल सहिया के जरिये विभाग पंचायतों में पेयजल की समस्या का समाधान करने की कोशिश कर रहा है, उसके कैसे नतीजे सामने आए हैं?
जल सहिया के माध्यम से पंचायतों में पेयजल की समस्या की कोशिश का अच्छा परिणाम सामने आ रहा है. प्रदेश में वर्तमान में 22453 ग्राम जल स्वच्छता समिति का गठन किया जा चुका है. 18400 के बैंक अकाउंट खोले जा चुके हैं. अकाउंट खोलने में आने वाली किसी प्रकार की दिक्कत की शिकायत टॉल फ्री नंबर पर कर सकते हैं. 

विश्‍व बैंक द्वारा पेयजल की समस्या के समाधान लिए सहयोग मिला है. सहयोग की राशि क्या है. इस बारे में क्या प्रगति है.
विश्‍व बैंक ने पेयजल व स्वच्छता के लिए झारखंड को पहली बार चुना है. इसके लिए प्रदेश को 6 वर्षो के अंदर 950 करोड़ रुपये की राशि मिलेगी. इस योजना को ठोस रूप देने के लिए बैठकों का दौर जारी है. इसपर अंतिम बैठक 15, 16, 17 जनवरी को हुई थी. विश्‍व बैंक की इस योजना पर अप्रैल 2013 से काम शुरू हो जाएगा. इस योजना के अंतर्गत अधिकतर छोटे काम पंचायत स्तर पर होंगे. गांव के लिए ग्राम जल स्वच्छता समिति ही टेंडर जारी करेगी. उसका भुगतान भी ग्राम जल स्वच्छता समिति के द्वारा ही किया जाएगा. बड़ी योजनाओं का काम विभाग द्वारा देखा जाएगा, लेकिन नेटवर्किंग का काम ग्राम स्तर पर ग्राम जल स्वच्छता समिति के द्वारा ही किया जाएगा.
साभार- पंचायतनामा, 28.01.13

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