Saturday, 2 February 2013

अधिकारियों के रवैये में आया बदलाव

हर महीने की तरह इस बार भी 15 जनवरी को रांची जिले की कांके पंचायत समिति की बैठक प्रखंड मुख्यालय स्थित किसान भवन में होनी थी. पर, अंतिम समय में अधिकतर अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण बैठक स्थगित हो गयी. दरअसल, प्रखंड विकास पदाधिकारी छुट्टी पर थीं, ऐसे में दूसरे अधिकारियों ने बैठक में शामिल होने में रुचि नहीं दिखायी. पंचायत समिति सदस्यों ने बैठक नहीं होने के लिए अधिकारियों के प्रति रोष प्रकट किया और बाद में उपायुक्त से मिल कर उनके समक्ष भी लिखित शिकायत दर्ज करायी. उपायुक्त ने पंचायत प्रप्रतिनिधियों की शिकायत को गंभीरता से लिया और बीडीओ से बात कर उन्हें इस मामले को देखने का निर्देश दिया व बैठक में अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्‍चित कराने का आग्रह किया.

पिठोरिया से पंचायत समिति सदस्य संध्या देवी कहती हैं : हमें अधिकारी महत्व नहीं देते, इसलिए वे हमारी बैठकों के प्रति लापरवाह रहते हैं. उनके अनुसार, बैठक में लिये गये फैसलों के क्रियान्वयन को भी अधिकारी तरजीह नहीं देते हैं. वे कहती हैं : अधिकारी हमारी अनुशंसा नहीं सुनते हैं और हम जो प्रस्ताव देते हैं उसे लागू नहीं करते. अफसरशाही से हताश संध्या देवी कहती हैं : राहुल गांधी के कार्यक्रम में मैं गयी थी, लेकिन उन्होंने हमें मजबूत बनाने व अधिकार दिलाने के लिए कोई आश्‍वासन नहीं दिया. 

वहीं, कांके की बीडीओ प्रेमलता मुर्मू कहती हैं : मैं छुट्टी में थी. अधिकारी क्यों नहीं गये यह गंभीर विषय है. मैंने अधिकारियों को इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किया है. उनका जवाब आने के बाद इस संबंध में आगे की कार्रवाई करूंगी. बीडीओ के अनुसार, बैठक में शामिल होने संबंधी जिस अधिकारी के जवाब से वे संतुष्ट नहीं होंगे उनके मामले को उपायुक्त को भेज देंगे. उल्लेखनीय है कि इस बैठक के संबंध में पहले ही चिट्ठी जारी कर दी गयी थी और अधिकारी को बैठक में उपस्थित होने को कहा गया था. बीडीओ को किसी कारणवश आकस्मिक अवकाश पर जाना पड़ा था. बीडीओ के अनुसार, सभी अधिकारियों को इस संबंध में लिखित सूचना दी गयी थी. पर स्वास्थ्य, बाल विकास परियोजना अधिकारी व एनआरइपी को छोड़ कर शेष विभागों के अधिकारी बिना सूचना के बैठक में शामिल नहीं हुआ. इस कारण पंचायत प्रप्रतिनिधियों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए बैठक नहीं की. बाद में बीडीओ ने 22 जनवरी को बैठक करने की बात कही.

विरोध का मिला बेहतर परिणाम

15 जनवरी को अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण पंचायत समिति सदस्यों का बैठक नहीं करने के फैसले का एक तरह से अच्छा नतीजा निकला. पंचायत प्रप्रतिनिधियों के विरोध के बाद 22 जनवरी को पंचायत समिति की बैठक हुई. पंचायत समिति सदस्यों ने अपनी शिकायत से डीसी को भी अवगत कराया है. इससे भविष्य में निचले स्तर के अधिकारी लापरवाही से बचेंगे. 22 जनवरी को पंचायत समिति की बैठक हुई तो उसमें अधिकारियों ने पंचायत प्रप्रतिनिधियों के पक्ष को गंभीरता से सुना. 15 को हुए विरोध का ही नतीजा था कि 22 को हुई बैठक में मात्र एक अधिकारी को छोड़ सभी अधिकारी उपस्थित थे. बैठक के बाद प्रमुख सुदेश उरांव ने कहा कि तीन पंचायतों में जल मीनार निर्माण कार्य पर चर्चा हुई. मनरेगा व आंगनबाड़ी के काम की समीक्षा हुई. प्रमुख के अनुसार, उन्होंने हर अधिकारी से मासिक कार्य उपलब्धि की रिपोर्ट की भी मांग की है. 

प्रमुख सुदेश उरांव कहते हैं कि 15 जनवरी को विरोध नहीं करने का हमें फायदा हुआ है. हमने अधिकारियों पर दबाव बनाया व डीसी साहब से भी अपनी शिकायत की. इन सब चीजों का बेहतर नतीजा आया. मीडिया ने भी हमारे पक्ष को जगह दी. कुल मिलाकर जनप्रप्रतिनिधियों को इस विरोध का लाभ हुआ. प्रमुख भी अब अपने नये तेवर के साथ क्षेत्र में काम करेंगे.
साभार- पंचायतनामा, 28.01.13

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