झारखंड में पंचायती राज के दो साल पूरे होने के अवसर पर पंचायती राज संस्थाओं से जुड़े विविध स्टेक-होल्डर्स के बीच अनुभवों का आदान-प्रदान हेतु दिनांक 08 फरवरी 2013 को होटल अशोका, रांची में पूर्वाह्न 09.30 बजे से कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इसमें राज्य के विभिन्न जिलों के सीमित संख्या में पंचायत प्रतिनिधियों, पंचायत राज पदाधिकारियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को आमंत्रण भेजा गया है। इनके अलावा अगर कोई इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इच्छुक हों तो इसके लिए आयोजन समिति से पूर्व अनुमति लेने हेतु मोबाइल नंबर 9431120500 अथवा ई-मेल jpwrc4@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
Sunday, 3 February 2013
झारखंड में पंचायती राज: दो साल के अनुभव पर कार्यशाला
झारखंड में पंचायती राज के दो साल पूरे होने के अवसर पर पंचायती राज संस्थाओं से जुड़े विविध स्टेक-होल्डर्स के बीच अनुभवों का आदान-प्रदान हेतु दिनांक 08 फरवरी 2013 को होटल अशोका, रांची में पूर्वाह्न 09.30 बजे से कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इसमें राज्य के विभिन्न जिलों के सीमित संख्या में पंचायत प्रतिनिधियों, पंचायत राज पदाधिकारियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को आमंत्रण भेजा गया है। इनके अलावा अगर कोई इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इच्छुक हों तो इसके लिए आयोजन समिति से पूर्व अनुमति लेने हेतु मोबाइल नंबर 9431120500 अथवा ई-मेल jpwrc4@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
Saturday, 2 February 2013
महिलाओं के हाथ में गांव का पानी प्रबंधन
राहुल सिंह
राजधानी रांची से सटी पंचायत है खिजरी. नामकुम प्रखंड क्षेत्र में आने वाली इस पंचायत के नया टोला की आरती देवी की जिंदगी अब घर-परिवार व बाों तक सीमित नहीं है. आरती अब गांव में जल प्रबंधन का काम देखती हैं. उनके सरोकार अब एक सामान्य गृहिणी से ब.डे हैं. वे लोगों को पानी का बिल भी थमाती हैं और शुल्क की वसूली भी करती हैं. दरअसल उनके यहां ग्रामीण पेयजलापूर्ति योजना संचालित होती है. और जल सहिया होने के कारण उनके ऊपर यह जिम्मेवारी है कि वे पेयजल आपूर्ति के प्रबंधन को संभालें. पिछले साल आरती की सक्रियता से 67, 448 रुपये जल कर के रूप में वसूले गये. इस उपलब्धि के एवज में इस पंचायत को 70 हजार रुपये अनुदान के रूप में भी सरकार की ओर से मिले. आरती और उनकी पंचायत की मुखिया झौंरो देवी की साझीदारी में पेयजल एवं स्वच्छता समिति का बैंक खाता संचालित होता है, जिसमें जल कर व अन्य स्रोतों से आने वाले पैसों को रखा जाता है.
आरती को लोगों को घर तक जाकर बिल थमाने व पैसे मांगने में कोई हिचक नहीं होती. वह लोगों को बिना कनेक्शन के पानी लेने के लिए सचेत भी करती हैं. वे बताती हैं कि दो-तीन ऐसे लोगों को इसके लिए हिदायत दी गयी है. हर घर से 62 रुपये जलकर के रूप में वसूला जाता है. उन्हें इसके एवज में 10 प्रतिशत कमीशन भी मिलता है.
यह बदलाव राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के उस दिशा-निर्देश जिसमेंपेयजल के लिए जमीनी स्तर पर लोगों की सहभागिता बढ.ाने व पंचायत प्रप्रतिनिधियों की भागीदारी बढ.ाने की बात कही गयी है पर झारखंड के रणनीतिक ढंग से अमल करने के कारण ही आया है. झारखंड देश का पहला और एकमात्र राज्य है, जहां राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की सहिया के तर्ज पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने राज्य में जल सहिया बनाने की प्रक्रिया शुरू की. इसके लिए हर राजस्व ग्राम में ग्रामसभा करायी गयी व जल सहिया का चयन किया गया. इस प्रक्रिया में राज्य में गठित पंचायत निकायों को भी इसका भागीदार बनाया गया. जल सहिया के चयन के लिए यह अनिवार्य किया गया कि महिला गांव की बहू हो व उसे इस काम में रुचि हो और अपेक्षाकृत कम उम्र की भी हो. राज्य में लगभग 32 हजार जल सहिया हैं. इससे पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने बिना ब.डे पैमाने पर नियुक्ति किये जमीनी स्तर पर पानी के लिए काम करने वाले लोगों का एक बड़ा नेटवर्कतैयार कर लिया. जल सहिया के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन प्रखंड स्तर पर किया गया. प्रशिक्षण के दौरान यह भी समझने की कोशिश की जाती है कि वे कितना काम कर सकती हैं. फिलहाल उन्हें पेयजल के लिए दो तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है : एक जल की गुणवत्ता जांच की और दूसरा चापानल मरम्मत की. निर्मल भारत अभियान के झारखंड समन्वयक डॉ रवींद्र वोहरा के अनुसार, यूनीसेफ के माध्यम से जल सहिया के प्रशिक्षण के लिए एक मार्गदर्शिका बनवायी गयी है, जिसमें सहज ढंग से यह बताया गया है कि वे कैसे काम कर सकती हैं. यह भी कोशिश होती है कि जल सहिया को प्रशिक्षण देने के लिए तैयार किये जाने वाले ट्रेनर भी अधिक से अधिक महिला हों. तमिलनाडु की सरकारी एजेंसी टाटबोर्ड से भी प्रशिक्षण कार्य में सहयोग लिया गया. हर जल सहिया को एक फिल्ड टेस्ट किट भी दिया जाता है. जिसके माध्यम से वे जल का परीक्षण कर सकती है और यह पता लगा सकती हैं कि पानी कैसा है और उसमें क्या गड़बड़िया हैं. फिल्ड टेस्ट किट के काम करने का तरीका ऐसा है कि सामान्य जानकारी रखने वाली महिला भी आसानी से पानी का जांच कर लें. जांच के दौरान पानी का रंग देख यह पता चल जाता है कि अमुक चापानल का पानी पीने योग्य है या नहीं. खराब पानी वाले चापानल का मुंह लाल रंग से रंग दिया जाता है.
रांची जिले के बेड़ो प्रखंड की तुतलो पंचायत के पोटपाली गांव की जल सहिया बेला उरांव बताती हैं कि वे जल जांच कर बेड़ो स्थित पीएचइडी कार्यालय में रिपोर्ट भेजती हैं. वे ब.डे आत्मविश्वास से कहती हैं कि हम पानी के पीएच, आयरन, फ्लोराइड व नाइट्रेट की मात्रा की जांच करते हैं. हालांकि वे पारिश्रमिक व उसके भुगतान के तरीके से संतुष्ट नहीं हैं. बेड़ो के ही मसियातू गांव की जल सहिया सबीना परवीन अब अपनी जमीन पर खेतीबाड़ी करने के साथ ही गांव पानी की जांच भी करती है. सबीना पिछले छह महीने से यह काम कर रही हैं. नावाटांड़ की जलसहिया नरगीस भी अब लोगों को पानी के लिए सचेत करती हैं. वे अब यह पता लगाने में सक्षम हैं कि किस चापानल का पानी अच्छा है और किसका खराब.
हालांकि अधिक शारीरिक मेहनत लगने के कारण चापानल निर्माण में महिलाओं के कम रुचि लेने के मामले भी हैं. फिर भी पानी को लेकर राज्य के गांवों में महिलाओं की सक्रियता बढ.ी है. जनजातीय क्षेत्रों में महिलाएं चापानल मरम्मत में वे ज्यादा रुचि ले रही हैं.
दो पंचायतों में है दिक्कत : रामदेव सिंह, जिप सदस्य, लातेहार घर में : मेरे घर के पास एक चाचा की जमीन पर एक चापानल है. हमलोग पेयजल के लिए उसी पर निर्भर हैं. पानी की हमारे यहां दिक्कत नहीं है और उसके चलते किसी तरह की शिकायत भी नहीं आयी है. क्षेत्र में : हमारे क्षेत्र के कुछ क्षेत्र में पानी की दिक्कत है. सरजू एक्शन प्लान में पड़ने वाली बेंदी पंचायत के साथ ही तरवाडीह में पेयजल की दिक्कत है. बेंदी पंचायत में सरजू क्षेत्र में आता है, जो विशेष कार्य के लिए चुना गया है, फिर भी वहां पानी के लिए बेहतर काम नहीं हो सका है. हमारा क्षेत्र पठारी है. इसलिए यहां 15 फीट की खुदाई के बाद पत्थर मिलता है. ऐसे में बोरवेल के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था यहां ज्यादा सफल होती है. क्षेत्र में कई जगह पेयजल की व्यवस्था दुरुस्त करने की जरूरत है. यहां के लोग पीने के पानी के लिए कुआं व चापानल पर भी मुख्य रूप से निर्भर हैं. एक पंचायत में जलापूर्ति व्यवस्था : शम्शुल होदा, उपप्रमुख, लातेहार घर में : मेरे घर में एक चापानल है. हमलोग उसी का पानी पीते हैं. पेयजल को लेकर ज्यादा दिक्कत नहीं होती. कभी-कभी व गरमी काफी बढ.ने पर जरूर दिक्कत होती है. क्षेत्र में : हमारे क्षेत्र में पेयजल के लिए लोग मुख्य रूप से कुआ व चापानल पर निर्भर हैं. मैं इचाक ग्राम पंचायत क्षेत्र से आता हूं. यहां हाल में मिनी वाटर सप्लाई का काम हुआ है. इसके तहत एक हार्स पॉवर क्षमता की मोटर सोलर प्लेट से चलायी जाती है. जल सहिया के माध्यम से इसका प्रबंधन किया जाता है व व्यवस्था देखी जाती है. हालांकि पंचायत समिति में अबतक पेयजल एवं स्वच्छता का गठन नहीं हो सका है. मुझे लगता है कि जल सहिया की व्यवस्था को ज्यादा गतिशील बनाने से पेयजल से जुड़ी समस्या का बहुत हद तक निदान संभव हो जायेगा. चापानल-कुओं करायी मरम्मत : रामेश्वर सिंह, मुखिया, हेठपोचरा, लातेहार घर में : हमलोग अपने घर के चापानल का पानी पीते हैं. इसमें किसी तरह की दिक्कत नहीं है. हमें पेयजल की किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती है. क्षेत्र में : मेरे पंचायत क्षेत्र में नौ राजस्व गांव हैं. सभी राजस्व गांव में जल सहिया का निर्वाचित किया गया है. जिन गांवों में पानी की दिक्कत है, हम वहां कुआं बनवा रहे हैं. ताकि सिंचाई व पेयजल दोनों की सुविधा उपलब्ध हो जाये. आपदा मद से मिले दो लाख रुपये से हमलोगों ने खराब चापानल व जर्जर कुओं की मरम्मत करायी. जलछाजन के लिए भी हमलोगों ने गांव में व्यवस्था बनायी है. कई जगह क्षतिग्रस्त बांध को बनवाया है.
साभार- पंचायतनामा, 28.01.13
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पेयजल के लिए 900 करोड़ रुपये : सुधीर प्रसाद
ग्राम पंचायत को और अधिक अधिकार देने की नीयत से पेयजल के अधिकतर कामों में उनकी मुख्य भूमिका सुनिश्चित की गयी है. विभाग ने पंचायत को सशक्त बनाने के लिए पेयजल से संबंधित छोटे कामों का टेंडर व भुगतान करने का अधिकार भी ग्राम स्वच्छता समिति को सौंपने का फैसला किया है. पंचायत की जागरूकता से ही पेयजल की समस्या का समाधान हो सकता है. इन्हीं मसलों पर नीरज कुमार सिंह ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद से बातचीत की :
झारखंड में पानी की उपलब्धता के बावजूद यहां के गांव पेयजल संकट से जूझ रहे हैं. यह स्थिति कैसे बदलेगी?
झारखंड पेयजल संकट से जूझ रहा है, ऐसी बात नहीं है. प्रदेश की जनता नलकूप पर निर्भर है. लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है क्योंकि गरमी के दिनों में प्रदेश कुछ हिस्सों में नलकूप सूख जाते हैं. इस कारण कुछ समस्या जरूर होती है. हालांकि प्रदेश में नलकूपों का औसत राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. प्रदेश में चार लाख नलकूप हैं.
प्रदेश के हर गांव में पाइप द्वारा पानी पहुंचाने की योजना थी, वह कितनी सफल हो सकी है और कब तक सूबे के सभी गांवों में पाइप लाइन द्वारा पानी पहुंच पाएगा?
फिलहाल पाइप द्वारा जलापूर्ति की योजना का अभाव है. प्रदेश में सात फीसदी ही नल हैं जबकि गुजरात जैसे विकसित राज्यों में 70 फीसदी तक नल है. मंत्रालय द्वारा पाइप जलापूर्ति पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इसके लिए अगले दो सालों में 110 योजनाओं को तैयार किया गया है. 900 करोड़ की लागत वाली इन योजनाओं का कार्य दो साल में पूरा हो जाएगा. इन योजनाओं में दुमका के परसिमला व आसनसोल, रांची के ओरमांझी, गिरिडीह के बेंगाबाद व खरगडीहा आदि मुख्य रूप से शामिल हैं. इनमें से 20 योजनाओं पर मार्च से काम शुरू हो जाएगा. 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत प्रदेश के 25 फीसदी घरों तक नल से जल पहुंचाने की योजना है. जिन गांव में पाइप द्वारा पानी जाएगा, वहां नलकूप नहीं लगाया जाएगा.
जिन गांवों के पानी में फ्लोराइड, आर्सेनिक आदि तत्व हैं, वहां विभाग इसके निदान के लिए क्या कर रहा है?
गढ.वा व पलामू के जल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. जबकि आर्सेनिक प्रभवित जिला साहिबगंज और पाकुड़ है. साहिबगंज के बरहेट में जलापूर्ति योजना निर्माणाधीन है. इस योजना के पूरा होने से 34 पंचायत के 58 गांव और 1 लाख 63 हजार लोग लाभान्वित होंगे. 138 करोड़ की लागत से बनने वाली इस योजना का कार्य 2014 तक पूरा हो जाएगा. इस योजना के अंतर्गत 500 किलोमीटर पाइपलाइन बिछायी जाएगी. ग्रामीण क्षेत्र में इतनी बड़ी परियोजना नहीं है. पाकुड़, पलामू और गढ.वा के लिए कई योजनाएं चल रही हैं. साहिबगंज, गढ.वा व पलामू के लिए 163 सौर ऊर्जा से संचालित योजनाएं चल रही हैं. पीपीपी मॉडल पर संचालित यह योजना ग्राम जल स्वच्छता समिति के सहयोग से चल रही है. इस योजना के अंतर्गत आने वाला सारा खर्च सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है. इस योजना की सफलता मुखियों पर निर्भर है. मुखिया को चाहिए कि ग्रामीणों से वे 30 से 50 पैसा प्रति लीटर के हिसाब से पानी का टैक्स वसूलें. यह पैसा ग्राम पंचायत के पास ही रहेगा. इन पैसों को मुखिया अपनी पंचायत के जल एवं स्वच्छता से संबंधित कार्यों के लिए खर्च कर सकते हैं. पेयजल से संबंधित किसी प्रकार की शिकायत के लिए लोग 18003456502 व 18003456516 पर शिकायत कर सकते हैं. इतना ही नहीं लोग स्थानीय स्तर पर कार्यपालक अभियंता से भी शिकायत करें. आप हमें दफ्तर के समय यानी सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे के बीच शिकायत कर सकते हैं. शिकायत का तुरंत समाधान किया जाएगा.
जल सहिया के जरिये विभाग पंचायतों में पेयजल की समस्या का समाधान करने की कोशिश कर रहा है, उसके कैसे नतीजे सामने आए हैं?
जल सहिया के माध्यम से पंचायतों में पेयजल की समस्या की कोशिश का अच्छा परिणाम सामने आ रहा है. प्रदेश में वर्तमान में 22453 ग्राम जल स्वच्छता समिति का गठन किया जा चुका है. 18400 के बैंक अकाउंट खोले जा चुके हैं. अकाउंट खोलने में आने वाली किसी प्रकार की दिक्कत की शिकायत टॉल फ्री नंबर पर कर सकते हैं.
विश्व बैंक द्वारा पेयजल की समस्या के समाधान लिए सहयोग मिला है. सहयोग की राशि क्या है. इस बारे में क्या प्रगति है.
विश्व बैंक ने पेयजल व स्वच्छता के लिए झारखंड को पहली बार चुना है. इसके लिए प्रदेश को 6 वर्षो के अंदर 950 करोड़ रुपये की राशि मिलेगी. इस योजना को ठोस रूप देने के लिए बैठकों का दौर जारी है. इसपर अंतिम बैठक 15, 16, 17 जनवरी को हुई थी. विश्व बैंक की इस योजना पर अप्रैल 2013 से काम शुरू हो जाएगा. इस योजना के अंतर्गत अधिकतर छोटे काम पंचायत स्तर पर होंगे. गांव के लिए ग्राम जल स्वच्छता समिति ही टेंडर जारी करेगी. उसका भुगतान भी ग्राम जल स्वच्छता समिति के द्वारा ही किया जाएगा. बड़ी योजनाओं का काम विभाग द्वारा देखा जाएगा, लेकिन नेटवर्किंग का काम ग्राम स्तर पर ग्राम जल स्वच्छता समिति के द्वारा ही किया जाएगा.
साभार- पंचायतनामा, 28.01.13
झारखंड में पानी की उपलब्धता के बावजूद यहां के गांव पेयजल संकट से जूझ रहे हैं. यह स्थिति कैसे बदलेगी?
झारखंड पेयजल संकट से जूझ रहा है, ऐसी बात नहीं है. प्रदेश की जनता नलकूप पर निर्भर है. लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है क्योंकि गरमी के दिनों में प्रदेश कुछ हिस्सों में नलकूप सूख जाते हैं. इस कारण कुछ समस्या जरूर होती है. हालांकि प्रदेश में नलकूपों का औसत राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. प्रदेश में चार लाख नलकूप हैं.
प्रदेश के हर गांव में पाइप द्वारा पानी पहुंचाने की योजना थी, वह कितनी सफल हो सकी है और कब तक सूबे के सभी गांवों में पाइप लाइन द्वारा पानी पहुंच पाएगा?
फिलहाल पाइप द्वारा जलापूर्ति की योजना का अभाव है. प्रदेश में सात फीसदी ही नल हैं जबकि गुजरात जैसे विकसित राज्यों में 70 फीसदी तक नल है. मंत्रालय द्वारा पाइप जलापूर्ति पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इसके लिए अगले दो सालों में 110 योजनाओं को तैयार किया गया है. 900 करोड़ की लागत वाली इन योजनाओं का कार्य दो साल में पूरा हो जाएगा. इन योजनाओं में दुमका के परसिमला व आसनसोल, रांची के ओरमांझी, गिरिडीह के बेंगाबाद व खरगडीहा आदि मुख्य रूप से शामिल हैं. इनमें से 20 योजनाओं पर मार्च से काम शुरू हो जाएगा. 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत प्रदेश के 25 फीसदी घरों तक नल से जल पहुंचाने की योजना है. जिन गांव में पाइप द्वारा पानी जाएगा, वहां नलकूप नहीं लगाया जाएगा.
जिन गांवों के पानी में फ्लोराइड, आर्सेनिक आदि तत्व हैं, वहां विभाग इसके निदान के लिए क्या कर रहा है?
गढ.वा व पलामू के जल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. जबकि आर्सेनिक प्रभवित जिला साहिबगंज और पाकुड़ है. साहिबगंज के बरहेट में जलापूर्ति योजना निर्माणाधीन है. इस योजना के पूरा होने से 34 पंचायत के 58 गांव और 1 लाख 63 हजार लोग लाभान्वित होंगे. 138 करोड़ की लागत से बनने वाली इस योजना का कार्य 2014 तक पूरा हो जाएगा. इस योजना के अंतर्गत 500 किलोमीटर पाइपलाइन बिछायी जाएगी. ग्रामीण क्षेत्र में इतनी बड़ी परियोजना नहीं है. पाकुड़, पलामू और गढ.वा के लिए कई योजनाएं चल रही हैं. साहिबगंज, गढ.वा व पलामू के लिए 163 सौर ऊर्जा से संचालित योजनाएं चल रही हैं. पीपीपी मॉडल पर संचालित यह योजना ग्राम जल स्वच्छता समिति के सहयोग से चल रही है. इस योजना के अंतर्गत आने वाला सारा खर्च सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है. इस योजना की सफलता मुखियों पर निर्भर है. मुखिया को चाहिए कि ग्रामीणों से वे 30 से 50 पैसा प्रति लीटर के हिसाब से पानी का टैक्स वसूलें. यह पैसा ग्राम पंचायत के पास ही रहेगा. इन पैसों को मुखिया अपनी पंचायत के जल एवं स्वच्छता से संबंधित कार्यों के लिए खर्च कर सकते हैं. पेयजल से संबंधित किसी प्रकार की शिकायत के लिए लोग 18003456502 व 18003456516 पर शिकायत कर सकते हैं. इतना ही नहीं लोग स्थानीय स्तर पर कार्यपालक अभियंता से भी शिकायत करें. आप हमें दफ्तर के समय यानी सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे के बीच शिकायत कर सकते हैं. शिकायत का तुरंत समाधान किया जाएगा.
जल सहिया के जरिये विभाग पंचायतों में पेयजल की समस्या का समाधान करने की कोशिश कर रहा है, उसके कैसे नतीजे सामने आए हैं?
जल सहिया के माध्यम से पंचायतों में पेयजल की समस्या की कोशिश का अच्छा परिणाम सामने आ रहा है. प्रदेश में वर्तमान में 22453 ग्राम जल स्वच्छता समिति का गठन किया जा चुका है. 18400 के बैंक अकाउंट खोले जा चुके हैं. अकाउंट खोलने में आने वाली किसी प्रकार की दिक्कत की शिकायत टॉल फ्री नंबर पर कर सकते हैं.
विश्व बैंक द्वारा पेयजल की समस्या के समाधान लिए सहयोग मिला है. सहयोग की राशि क्या है. इस बारे में क्या प्रगति है.
विश्व बैंक ने पेयजल व स्वच्छता के लिए झारखंड को पहली बार चुना है. इसके लिए प्रदेश को 6 वर्षो के अंदर 950 करोड़ रुपये की राशि मिलेगी. इस योजना को ठोस रूप देने के लिए बैठकों का दौर जारी है. इसपर अंतिम बैठक 15, 16, 17 जनवरी को हुई थी. विश्व बैंक की इस योजना पर अप्रैल 2013 से काम शुरू हो जाएगा. इस योजना के अंतर्गत अधिकतर छोटे काम पंचायत स्तर पर होंगे. गांव के लिए ग्राम जल स्वच्छता समिति ही टेंडर जारी करेगी. उसका भुगतान भी ग्राम जल स्वच्छता समिति के द्वारा ही किया जाएगा. बड़ी योजनाओं का काम विभाग द्वारा देखा जाएगा, लेकिन नेटवर्किंग का काम ग्राम स्तर पर ग्राम जल स्वच्छता समिति के द्वारा ही किया जाएगा.
साभार- पंचायतनामा, 28.01.13
पूर्वी सिंहभूम : पतियों की सक्रियता का विरोध
जिला परिषद सदस्यों के विरोध से उपस्थिति रुकी
मनीष सिन्हा पूर्वी सिंहभूम में जिला परिषद संचालन का अधिकार महिलाओं को दिया गया है, लेकिन इसमें पति का हस्तक्षेप रहता है. इसके अनेकों मामले सामने आये हैं. अब जिला परिषद सदस्य भी खुले तौर पर इसका विरोध करने लगे हैं. सदस्यों ने अध्यक्ष सोनिया सामंत और उपाध्यक्ष अनिता देवी के पतियों के हस्तक्षेप का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि योजनाओं को चिह्न्ति करने, बीआरजीएफ योजनाओं की ठेकेदारी देने और संविदा के आधार पर नियुक्ति से लेकर हर कार्य में पतियों की ही चलती है. जिप अध्यक्ष- उपाध्यक्ष के नहीं रहने पर भी ये लोग न सिर्फ जिला परिषद के ऑफिस में आकर बैठते हैं बल्कि अध्यक्ष- उपाध्यक्ष के चैंबर का भी प्रयोग करते हैं. किसी तरह की बात करनी होती है तो अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के स्थान पर उनके पति ही बात करते हैं. पूर्व में कमेटी की बैठक में भी पति की उपस्थिति होती थी और पतियों की उपस्थिति के प्रमाण भी उजागर हुए. सदस्यों के विरोध के बाद बैठक में उनकी उपस्थिति बंद हुई. जिला स्तरीय सामान्य बैठक में भी पतियों के हस्तक्षेप का खुला विरोध सदस्य करने लगे हैं. नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कुछ जिप सदस्यों ने कहा कि जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कोई निर्णय नहीं ले पाती हैं. उनके स्थान पर उनके पति निर्णय लेते हैं. योजनाओं का चयन भी वे लोग ही करते हैं.
साभार- पंचायतनामा, 28.01.13
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अधिकारियों के रवैये में आया बदलाव
हर महीने की तरह इस बार भी 15 जनवरी को रांची जिले की कांके पंचायत समिति की बैठक प्रखंड मुख्यालय स्थित किसान भवन में होनी थी. पर, अंतिम समय में अधिकतर अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण बैठक स्थगित हो गयी. दरअसल, प्रखंड विकास पदाधिकारी छुट्टी पर थीं, ऐसे में दूसरे अधिकारियों ने बैठक में शामिल होने में रुचि नहीं दिखायी. पंचायत समिति सदस्यों ने बैठक नहीं होने के लिए अधिकारियों के प्रति रोष प्रकट किया और बाद में उपायुक्त से मिल कर उनके समक्ष भी लिखित शिकायत दर्ज करायी. उपायुक्त ने पंचायत प्रप्रतिनिधियों की शिकायत को गंभीरता से लिया और बीडीओ से बात कर उन्हें इस मामले को देखने का निर्देश दिया व बैठक में अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने का आग्रह किया.
पिठोरिया से पंचायत समिति सदस्य संध्या देवी कहती हैं : हमें अधिकारी महत्व नहीं देते, इसलिए वे हमारी बैठकों के प्रति लापरवाह रहते हैं. उनके अनुसार, बैठक में लिये गये फैसलों के क्रियान्वयन को भी अधिकारी तरजीह नहीं देते हैं. वे कहती हैं : अधिकारी हमारी अनुशंसा नहीं सुनते हैं और हम जो प्रस्ताव देते हैं उसे लागू नहीं करते. अफसरशाही से हताश संध्या देवी कहती हैं : राहुल गांधी के कार्यक्रम में मैं गयी थी, लेकिन उन्होंने हमें मजबूत बनाने व अधिकार दिलाने के लिए कोई आश्वासन नहीं दिया.
वहीं, कांके की बीडीओ प्रेमलता मुर्मू कहती हैं : मैं छुट्टी में थी. अधिकारी क्यों नहीं गये यह गंभीर विषय है. मैंने अधिकारियों को इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किया है. उनका जवाब आने के बाद इस संबंध में आगे की कार्रवाई करूंगी. बीडीओ के अनुसार, बैठक में शामिल होने संबंधी जिस अधिकारी के जवाब से वे संतुष्ट नहीं होंगे उनके मामले को उपायुक्त को भेज देंगे. उल्लेखनीय है कि इस बैठक के संबंध में पहले ही चिट्ठी जारी कर दी गयी थी और अधिकारी को बैठक में उपस्थित होने को कहा गया था. बीडीओ को किसी कारणवश आकस्मिक अवकाश पर जाना पड़ा था. बीडीओ के अनुसार, सभी अधिकारियों को इस संबंध में लिखित सूचना दी गयी थी. पर स्वास्थ्य, बाल विकास परियोजना अधिकारी व एनआरइपी को छोड़ कर शेष विभागों के अधिकारी बिना सूचना के बैठक में शामिल नहीं हुआ. इस कारण पंचायत प्रप्रतिनिधियों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए बैठक नहीं की. बाद में बीडीओ ने 22 जनवरी को बैठक करने की बात कही.
विरोध का मिला बेहतर परिणाम
15 जनवरी को अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण पंचायत समिति सदस्यों का बैठक नहीं करने के फैसले का एक तरह से अच्छा नतीजा निकला. पंचायत प्रप्रतिनिधियों के विरोध के बाद 22 जनवरी को पंचायत समिति की बैठक हुई. पंचायत समिति सदस्यों ने अपनी शिकायत से डीसी को भी अवगत कराया है. इससे भविष्य में निचले स्तर के अधिकारी लापरवाही से बचेंगे. 22 जनवरी को पंचायत समिति की बैठक हुई तो उसमें अधिकारियों ने पंचायत प्रप्रतिनिधियों के पक्ष को गंभीरता से सुना. 15 को हुए विरोध का ही नतीजा था कि 22 को हुई बैठक में मात्र एक अधिकारी को छोड़ सभी अधिकारी उपस्थित थे. बैठक के बाद प्रमुख सुदेश उरांव ने कहा कि तीन पंचायतों में जल मीनार निर्माण कार्य पर चर्चा हुई. मनरेगा व आंगनबाड़ी के काम की समीक्षा हुई. प्रमुख के अनुसार, उन्होंने हर अधिकारी से मासिक कार्य उपलब्धि की रिपोर्ट की भी मांग की है.
प्रमुख सुदेश उरांव कहते हैं कि 15 जनवरी को विरोध नहीं करने का हमें फायदा हुआ है. हमने अधिकारियों पर दबाव बनाया व डीसी साहब से भी अपनी शिकायत की. इन सब चीजों का बेहतर नतीजा आया. मीडिया ने भी हमारे पक्ष को जगह दी. कुल मिलाकर जनप्रप्रतिनिधियों को इस विरोध का लाभ हुआ. प्रमुख भी अब अपने नये तेवर के साथ क्षेत्र में काम करेंगे.
साभार- पंचायतनामा, 28.01.13
पिठोरिया से पंचायत समिति सदस्य संध्या देवी कहती हैं : हमें अधिकारी महत्व नहीं देते, इसलिए वे हमारी बैठकों के प्रति लापरवाह रहते हैं. उनके अनुसार, बैठक में लिये गये फैसलों के क्रियान्वयन को भी अधिकारी तरजीह नहीं देते हैं. वे कहती हैं : अधिकारी हमारी अनुशंसा नहीं सुनते हैं और हम जो प्रस्ताव देते हैं उसे लागू नहीं करते. अफसरशाही से हताश संध्या देवी कहती हैं : राहुल गांधी के कार्यक्रम में मैं गयी थी, लेकिन उन्होंने हमें मजबूत बनाने व अधिकार दिलाने के लिए कोई आश्वासन नहीं दिया.
वहीं, कांके की बीडीओ प्रेमलता मुर्मू कहती हैं : मैं छुट्टी में थी. अधिकारी क्यों नहीं गये यह गंभीर विषय है. मैंने अधिकारियों को इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किया है. उनका जवाब आने के बाद इस संबंध में आगे की कार्रवाई करूंगी. बीडीओ के अनुसार, बैठक में शामिल होने संबंधी जिस अधिकारी के जवाब से वे संतुष्ट नहीं होंगे उनके मामले को उपायुक्त को भेज देंगे. उल्लेखनीय है कि इस बैठक के संबंध में पहले ही चिट्ठी जारी कर दी गयी थी और अधिकारी को बैठक में उपस्थित होने को कहा गया था. बीडीओ को किसी कारणवश आकस्मिक अवकाश पर जाना पड़ा था. बीडीओ के अनुसार, सभी अधिकारियों को इस संबंध में लिखित सूचना दी गयी थी. पर स्वास्थ्य, बाल विकास परियोजना अधिकारी व एनआरइपी को छोड़ कर शेष विभागों के अधिकारी बिना सूचना के बैठक में शामिल नहीं हुआ. इस कारण पंचायत प्रप्रतिनिधियों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए बैठक नहीं की. बाद में बीडीओ ने 22 जनवरी को बैठक करने की बात कही.
विरोध का मिला बेहतर परिणाम
15 जनवरी को अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण पंचायत समिति सदस्यों का बैठक नहीं करने के फैसले का एक तरह से अच्छा नतीजा निकला. पंचायत प्रप्रतिनिधियों के विरोध के बाद 22 जनवरी को पंचायत समिति की बैठक हुई. पंचायत समिति सदस्यों ने अपनी शिकायत से डीसी को भी अवगत कराया है. इससे भविष्य में निचले स्तर के अधिकारी लापरवाही से बचेंगे. 22 जनवरी को पंचायत समिति की बैठक हुई तो उसमें अधिकारियों ने पंचायत प्रप्रतिनिधियों के पक्ष को गंभीरता से सुना. 15 को हुए विरोध का ही नतीजा था कि 22 को हुई बैठक में मात्र एक अधिकारी को छोड़ सभी अधिकारी उपस्थित थे. बैठक के बाद प्रमुख सुदेश उरांव ने कहा कि तीन पंचायतों में जल मीनार निर्माण कार्य पर चर्चा हुई. मनरेगा व आंगनबाड़ी के काम की समीक्षा हुई. प्रमुख के अनुसार, उन्होंने हर अधिकारी से मासिक कार्य उपलब्धि की रिपोर्ट की भी मांग की है.
प्रमुख सुदेश उरांव कहते हैं कि 15 जनवरी को विरोध नहीं करने का हमें फायदा हुआ है. हमने अधिकारियों पर दबाव बनाया व डीसी साहब से भी अपनी शिकायत की. इन सब चीजों का बेहतर नतीजा आया. मीडिया ने भी हमारे पक्ष को जगह दी. कुल मिलाकर जनप्रप्रतिनिधियों को इस विरोध का लाभ हुआ. प्रमुख भी अब अपने नये तेवर के साथ क्षेत्र में काम करेंगे.
साभार- पंचायतनामा, 28.01.13
झारखंड के जिला पंचायत राज पदाधिकारियों की सूची
List
of DPROs in Jharkhand
RANCHI
- KARTIK PRABHAT – 9430172900, 0651-2212415, ranchi.dpro@gmail.com
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SIMDEGA
- PRADIP TIGGA - 9430755079, 9771348726, 06525-225701, jhrsim@nic.in, meso.simdega@gmail.com
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GUMLA
- SUNIL KUMAR – 9431758713, 06524-224038, dprogumla11@gmail.com
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LOHARDEGA - VINAY KUMAR – 9905319561, drdalohardaga@gmail.com
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KHUNTI
- PRADIP PRASAD – 9431355096, khuntidpro@gmail.com
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HAZARIBAGH
- RAM NARAYAN SINGH, 86032204808, 06546-266323, dprohaz@yahoo.com
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DHANBAD
- NAND KISHORE LAL - 9430785403, 0326-2311396, nandklal@gmail.com
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GIRIDIH
- PRABHAKAR SINGH – 9431316992, 06532-228326, prabhakarsingh1112@gmail.com
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BOKARO
– Mr. UPADHAY – 9431179011, 06542-224050, dprobokaro@yahoo.in
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RAMGARH
- SMT.SUBHA AKHORI 9162473312 -
06553-231355, dproramgarh@gmail.com
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CHATRA
- RAVI DAS AMERICAN, 9431967707, chatradpro81@gmail.com
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KODERMA
- SURYAMANI ACHRYA – 9431393527, 212342, pramodkumarbakshi@gmail.com
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PALAMU
- RAKESH KUMAR – 9430320290, dpropalamu2012@gmail.com
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GADHWA
- SUNIL DUT KHARWA – 9431396752, dpro.garhwa@gmail.com
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LATEHAR
- DILIP KUMAR – 9470522138, dpro.ltr@gmail.com
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DUMKA
- MD SABBIR AHMED – 9934516240, 06434-227137, mdshabbir_ahmad@yahoo.com
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DEOGHAR
- SHASHI PRAKASH JHA – 9431188732, 06432-238737, deoghardpro@gmail.com
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PAKUR
- PRADIP KUMAR PRASAD – 9431333931, pradipkumar951@gmail.com
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JAMTARA
- ANMOL KUMAR SINGH – 9431190131, dprojmt@gmail.com
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GODDA
- UMESH PRASAD – 9279244696, panchayatgodda@gmail.com
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SAHEBGANJ
- ANIL KUMAR – 9431332677, dprosahibganj@gmail.com
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W-SINGHBHUM
- PREM RANJAN – 9431704542, 06582-259197, chaibasa.dpro@gmail.com
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E-SINGHBHUM
- MURLI MANOHAR PRASAD – 8877096901, 0657-2941783, es-drda-jhr@nic.in
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SARAUKELLA-KARSZAMA - UMA MAHTO – 9006056275, 06953-34177, dproseraikella@gmail.
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