Sunday, 2 September 2012

मंगल ने खुद बनायी राह


अधिकारियों ने नहीं सुनी बात तो औद्योगिक घरानों को बनाया विकास में साझीदार
।।शैलेश सिंह।।
पश्चिम सिंहभूम की किरीबुरु पूर्वी पंचायत के मुखिया मंगल सिंह गिलुवा तमाम मुश्किलों के बावजूद अपने क्षेत्र में बेहतर काम करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने क्षेत्र में काम कर रहे अलग-अलग खदान प्रबंधनों से भी अपनी पंचायत के विकास के लिए सहयोग मांगा.
गिलवा कहते हैं कि विकास योजनाओं को पारित कर धरातल पर उसे अमल में लाने के लिए ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित कर उसे प्रखंड विकास कार्यालय में भेजा जाता है, पर वहां से अबतक ठंडी प्रतिक्रिया ही मिलती रही है. अंतत: इस हालत से तंग आकर हमने पंचायत के गांवों के विकास के लिए खुद उपाय ढूंढना शुरू किया. गिलवा ने इसके लिए खदान प्रबंधन से बात की व सहयोग मांगा. इसका सार्थक नतीजा आया. पेयजल के लिए बराईबुरु में जलमीनार का निर्माण हुआ, तो इंदिरानगर, टाटिबा, ससंगदा, जुमानसाई, बिरहोर बस्ती में डिप बोरिंग करायी गयी. गाड़ा व बाकल हाटिंग में पाइप लाइन के जरिये जलापूर्ति व्यवस्था हुई. टोंटोगड़ा, बराईबुरु एवं टाटिबा में जेनेरेटर के जरिये बिजली की व्यवस्था की गयी. साथ ही खेती के लिए ट्रैक्टर व मरीजों के लिए एंबुलेंस की भी व्यवस्था की गयी. नया स्कूल भवन भी बना और उसमें निजी शिक्षक की भी व्यवस्था की गयी. इस पंचायत में यह व्यवस्था बनायी गयी कि अगर किसी गरीब आदमी के घर में किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उस परिवार को मुखिया एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता देगा.

मुखिया मंगल सिंह गिलुवा कहते हैं : गांव में बिजली लाने की कोशिशें की जा रही है. उनके प्रयास से मेसर्स देवका बाई बेल्दी खदान प्रबंधन के साथ बराईबुरु में 25 बेड का अस्पताल बनाने का समझौता हुआ है. उनके विकास कार्यो को मानकी, मुण्डा व ग्रामीणों का पूरा सहयोग मिलता है. वे कहते हैं कि हम सेल, देवकाबाई वेल्जी, उषा मार्टिन, मिश्रीलाल जैन, रुंगटा, एनकेपीके, रामेश्वर जूट मील, केजेएस अहलुवालिया खादान प्रबंधन के आभारी हैं, जिनके सहयोग से इतना विकास कार्य संभव हो सका है. उनके अनुसार, बराईबुरु -टाटिबा ग्राम विकास समिति का गठन ग्रामीणों ने किया है. यह समिति इस पंचायत की मुख्य ताकत है. इसी की सक्रियता से सारे विकास कार्य यहां संभव हो रहे हैं. वे चाहते हैं कि उनकी पंचायत की राज्य में खास पहचान बने.
(पंचायतनामा से साभार)

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