Wednesday 19 December 2012

महिला पंचायत मांग-पत्र

Women Panchayat Charter
भूमिका - भारतीय संविधान के 73वें संशोधन ने भारत में महिला सशक्तिकरण को एक नया आयाम प्रदान किया है। विकास में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पंचायती राज संस्थाअ में कम से कम एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान किया गया। जब झारखण्ड में वर्ष 2010 में चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ की गयी, तब संविधान की धारा 243 डी0 के तहत यहा की स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए महिलाओं के लिए न्यूतम 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया।
पंचायत चुनाव में महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इसी का परिणाम  है कि आज झारखण्ड, पंचायत में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के मामले में अग्रणी राज्य बन गया है। झारखण्ड की पंचायती राज संस्थाओं में कुल 56 प्रतिशत महिला प्रतिनिधि हैं। यह परिस्थिति राज्य सरकार द्वारा लिये गये निर्णय की प्रासंगिकता  को प्रमाणित करता है, परन्तु अब महिला प्रतिनिधियों को अपनी प्रासंगिकता प्रमाणित करने का वक्त आ गया है। पंचायत महिला एवं युवा शक्ति अभियान महिलाओं के सशक्तिकरण एवं सामुहिक उत्त्तरदायित्व निर्वहण के लिए एक सशक्त फोरम प्रदान करता है। उन्हे यह संकल्प लेना है कि उनके आॅचल में पड़े पंचायतीराज संस्थान को वो अपने कुशल नेतृत्व एवं मातृत्व से इतना सबल बनाये कि यह संस्थान समाजिक परिवर्तन का एक धारदार अस्त सबित हो सके । यह फोरम यह भी अवसर प्रदान करता है कि हम महिलाओं को यह  पुरूष प्रधान सामजिक व्यवस्था में अपने दायित्व के निर्वहण के समक्ष आ रही कठिनाईओं को चिन्हित  कर तथा उसे दूर करने के लिए सामुहिक प्रयास एवं संर्घष करे।

घोषणा
झारखंड की हम निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों ने रांची में राज्य सम्मेलन के दौरान समुचित विचार-विमर्श के उपरांत सामूहिक रूप से निम्नांकित प्रस्ताव पारित किए हैं तथा हम संबंधित प्राधिकारियों से इन मांगों को पूरा करने का निवेदन करती हैं - 

1. वैधानिक मामले - 
  • पंचायतों की तरह विधानसभा में भी महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण मिले। 
  • राज्य की महिलाओं को पति के साथ संयुक्त नाम से तथा एकाकी, परित्यक्त, दलित, आदिवासी, विधवा महिलाओं तथा किसी भी प्रकार के विस्थापन की शिकार महिलाओं के लिए आवासीय एवं भूमि के अधिकार का प्रावधान किया जाए। 
  • पंचायत महिला प्रतिनिधियों की आपात आवश्यकताओं के आलोक में प्रखंड कार्यालयों में महिला हेल्पलाइन डेस्क बनाए जाएं। इनमें पुलिस संबंधी सहायता, कानूनी जानकारी एवं परामर्श इत्यादि की व्यवस्था हो। 
  • चुनाव के पूर्व दौरान तथा उपरांत महिला प्रत्याशियों पर हिंसा रोकने की दिशा में कड़े कानून बनाए जाएं। चुनाव के दौरान अस्थायी महिला पुलिस पिकेट स्थापित किए जाएं ताकि चुनाव में भागीदारी करने वाली महिलाओं को सुरक्षा मिले। 
  • राज्य भर में महिलाओं के लिए समान वेतन लागू हो। 
  • महिलाओं पर घरेलू हिंसा, महिलाओं एवं बच्चों के मानव व्यापार तथा बाल श्रम कानूनों को राज्य में सख्ती से लागू किया जाए। राज्य के प्रमुख प्रशिक्षण संस्थाओं में पंचायत प्रतिनिधियों को इन कानूनों तथा इन्हें समुचित तरीके से लागू करने के तरीकों का प्रशिक्षण मिले। 
  • रोजगार के लिए अन्य राज्यों में पलायन करने वाली महिलाओं का पंजीकरण हो तथा प्रखंड स्तर पर ऐसे पंजीयन केन्द्र खोले जाएं। 
  • पंचायत प्रतिनिधियों को उनके अधिकार एवं शक्तियां सौंपने का काम तत्काल हो। 
2. क्षमता निर्माण - 
  • महिला पंचायत प्रतिनिधियों तथा पंचायत कर्मियों के क्षमता निर्माण कार्यक्रम हेतु राज्य सरकार पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए। 
  • महिलाओं के लिए सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किए जाएं। 
  • तीनों स्तर पर कार्यो संबंधी प्रशासनिक विवरण के साथ महिला प्रतिनिधियों को ज्यादा प्रभावी तरीके से बैठकों में भागीदारी के लिए सक्षम बनाने संबंधी प्रयास किए जाएं। 
  • निरक्षर पंचायत प्रतिनिधियों की साक्षरता हेतु पंचायती राज विभाग प्रमुख संस्थाओं के साथ मिलकर विशेष कार्यक्रम चलाए। 
  • अन्य राज्यों की पंचायत महिला प्रतिनिधियों के साथ विनिमय कार्यक्रम चलाए जाएं। 
  • सरकारी योजनाओं तथा इनके क्रियान्वयन में पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका के संबंध में प्रशिक्षण हेतु पंचायत राज विभाग अन्य संबंधित विभागों के बीच तालमेल कायम करे। 
  • सभी प्रकार के प्रशिक्षणों के दौरान माॅक ड्रील और ज्यादा से ज्यादा अभ्यास कराए जाएं ताकि पंचायत प्रतिनिधियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण भी मिल सके। 
  • गांवों मंे योजनाओं का अनुश्रवण एवं मूल्यांकन एक महत्वपूर्ण कार्य है। पंचायत प्रतिनिधियों को अनुश्रवण कौशल बढ़ाने का प्रशिक्षण मिले ताकि वे योजनाओं की विभिन्न प्रक्रियाओं पर नजर रख सकें। 
  • बच्चों एवं महिलाओं संबंधी कानूनों, मानव व्यापार तथा बाल श्रम संबंधी कानूनों के संबंध में पंचायत प्रतिनिधियों का उन्मुखीकरण किया जाए तथा इनमें समय-समय पर होने वाले संशोधनों की भी जानकारी दी जाए। 
3. राजनीतिक मामले
  • महिलाओं एवं बच्चों संबंधी मामलों के अनुश्रवण हेतु जिला, प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर महिलाओं की अलग समिति बनाई जाए। 
  • ग्राम शिक्षा समिति, ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति, ग्राम स्वास्थ्य समिति इत्यादि वत्र्तमान समितियों में 50 प्रतिशत महिलाएं हों तथा उनकी अनुपस्थिति में बैठक के निर्णयों को मंजूरी न दी जाए। 
  • ग्राम पंचायत स्तर पर योजनाओं की निगरानी हेतु अनुश्रवण समिति बने जिसमें महिलाओं की 50 फीसदी भागीदारी हो। इसमें शामिल महिलाओं को समुचित प्रशिक्षण दिया जाए।
  • प्रखंड स्तर पर महिला अदालत बनाई जाए ताकि जिन मामलों की ग्राम पंचायतों में सुनवाई न हो, उन्हें अग्रसारित किया जा सके। 
  • राज्य के सुदूर क्षेत्रों में भी राज्य महिला आयोग द्वारा कदम उठाए जाएं। 
  • ग्राम पंचायतों में मुखिया का पद महिलाओं के लिए आरक्षित हो इससे गांवों में योजनाओं की समुचित पहुँच सुनिश्चित होगा तथा महिलाओं एवं बच्चों पर ज्यादा ध्यान दिया जा सकेगा।
  • पंचायतों तथा सरकारी कार्यक्रमों एवं बैठकों में पंचायत प्रतिनिधियों के पति की भागीदारी रोकने के संबंध में सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी की जाए। इस संबंध में समुचित जुर्माने अथवा दण्ड का भी प्रावधान हो। 
4. प्रशासनिक मामले
  • ग्राम सभाओं में महिलाओं की बराबर की भागीदारी हो तथा महिलाओं एवं बच्चों के सामाजिक मुद्दों पर महिलाओं के सुझावों को ग्राम सभा में सुना और स्वीकार किया जाए। किसी योजना की स्वीकृत करने से पहले महिलाओं की 50 फीसदी भागीदारी सुनिश्चित की जाए। 
  • ग्राम सभा द्वारा स्वीकृत प्रस्तावों को जिला योजना समिति की बैठक में प्रस्तुत किया जाता है, जिसकी अध्यक्षता मंत्री करते हैं। बिहार व कुछ राज्यों में ऐसी बैठक की अध्यक्षता जिला परिषद चेयरमैन करते हैं। झारखंड में भी यही व्यवस्था लागू हो। 
  • प्रखंड एवं ग्राम पंचायत स्तर पर प्रशासनिक प्रक्रियाओं में क्षेत्रीय भाषा का उपयोग किया जाए ताकि जो महिलाएं भाषागत बाधाओं के कारण समुचित भागीदारी नहीं कर पातीं, वे अपने विचारों को ज्यादा सहज होकर प्रस्तुत कर सकें। 
  • महिला पंचायत प्रतिनिधियों को मुक्त राशि प्रदान की जाएं, जिसका उपयोग बैठकों तथा स्थानीय अवसरों पर किया जा सके अथवा सोलर लाईट या पंचायत भवन में महिलाओं के लिए शौचालय बनाने जैसे कार्यों में उपयोग हो सके। 
  • जिला परिषद, पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत सदस्यों के अपने क्षेत्र में भ्रमण हेतु मानदेय प्रदान किया जाए। 
5. कार्य हेतु सहयोगी परिवेश संबंधी मामले
  • प्रत्येक स्तर पर पंचायत प्रतिनिधियों हेतु समुचित मूलभूत सुविधाओं से लैस कार्यालय खोले जाएं। 
  • तीनों स्तर पर वाहन सुविधा उपलब्ध कराई जाए जिसे आधिकारिक कार्यों हेतु उपयोग में लाया जा सके।
  • इन कार्यालयों में टेलीफोन एवं इंटरनेट की सुविधा हो। 
  • पुरूष पंचायत प्रतिनिधियों तथा सरकारी कर्मियों को महिलाओं एवं बच्चों संबंधी मामलों पर संवेदनशील बनाने संबंधी कार्यक्रम चलाए जाएं। 
  • पंचायत महिला प्रतिनिधियों के परिजनों को संवेदनशीन किया जाए ताकि महिला प्रतिनिधियों को विभिन्न बैठकों में शामिल होने का स्वतंत्र रूप से अवसर मिल सके। 
  • प्रखंड स्तर पर महिला थाना खोले जाएं जहां महिला कांस्टेबल तैनात हो ताकि महिलाएं अपनी किसी समस्या को लेकर किसी भी समय संपर्क कर सके। 
  • महिला प्रतिनिधियों को चुनाव के दौरान तथा क्षेत्र भ्रमण और उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में भ्रमण के दौरान पुलिस सुरक्षा मिले। 
  • प्रत्येक पंचायत भवन में महिलाओं के लिए अलग शौचालय एवं विश्राम कक्ष  की व्यवस्था हो। 
  • राज्य महिला आयोग, राज्य बाल अधिकार आयोग, राज्य कल्याण आयोगों तथा स्वास्थ्य विभाग इत्यादि की कार्य प्रणाली के संबंध में गांवों तथा सुदूर क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार हो ताकि आम लोगों को इनका लाभ मिले। 

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